Smaj Sudhark

 महिलाओं की सुरक्षा हर बार महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। स्कूलों और कालेजं में इस पर डिबेट होते  रहा है हम देेखते आ रहे प्राचीनकाल से महिलाओं के साथ समाजीक घटनाएँ घटीत होत हुए औ इनमें बेहत हद पर सुधार भी हुएं है।

हिन्दु धर्म में सतिं प्रथा बहुत पहले से चलती आ रही थी। अगर किसी महिला कि पति किसी कारण वर्ष मृत्यु हो जाए ते उस महिला के भीी अपने पति के साथ अग्नि में प्रज्वलित होना पड़ता था। समाज सुुधार राजा राम मोहन राय जिनका जन्म 22 मई 1772 में राधानगर  (बंगाल) में हुआ था ।उन्हेंने सतिं प्रथा पर आवाज उठाई और हिन्दू समाज के समक्षाया कि महिलाओं को उनके पति के साथ अग्नि में प्रज्वलित कर देेना समाजिक अपराध है जो हम वर्षों से करते आ रहे हैं अब इसेे ख्तम करना होगा। इस बात को समाज ने समझा और सतिं प्रथा के बंद कर दिया। 
हिन्दू विध्वा पुनविवाह नियम 1856 26 जुलाई को बाना। ये नियम ईस्ट इंडिया कंपनी के सासनं में लडॅ कैनिग द्वारा बनाया गया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जिन्होंने इस नियम के बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की उनका जन्म 26 सितंबर 1820 में (घाताल) में हुआ था। 
लडॅ कोनीग जिन्होंने हिन्दू विध्वा पुनविवाह विधेयक पर सहमति देकर नियम बनाया। 
वर्तमान स्थिति में देखे तो दहेज प्रथा भाजपा सरकार आने के बाद ख्तम हुआ। नए अनुसार अगर कोई दहेज  लोता या रता  हैतो उसे अपराध माना जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये नहीं कि हिन्दू धर्म में हिंद महिलाओं हक के लिए सुधार किया गया। मुुस्लि धर्म में भी सुधार किया गया है 05 अगस्त 2019 के राज्यसभा में तिन तलाग पर सहमति दे कर विधेयक बनाया और उसपर राष्ट्रपति ने सहमति से नियम बनाया गया।।
आज भी महिलाओं को साथ भेदभाव खत्म नहीं हुआ है। कुछ ऐसे समाजिक भेदभाव है जो हमें साफ - साफ दिखाई नहीं देते। मुस्लिम महििलाओं को महज्दि में नमाज पढ़ने से प्ररतिबंध है येे वर्ष से चलत आ रहा है आज भी जारी है। कुछ ऐसे भी समाजिक भेदभाव है जो हमें साफ - साफ नहीं दिखाई देता। देहात छेत्रो में महिला और पुरुष समान तक काम करते लेकीन पुरूष
को अधिक मजदुरी मिलति है महिला के मुकाबले। 

0 Comments:

Post a Comment